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का प्रारूप, 9. लेखा-जोखा, 10. तुलनात्मक अध्ययन, 11. जाली या नकली हस्तलिखित ग्रंथ।
अध्याय 3
88-107 पाण्डुलिपि : प्रकार : पाण्डुलिपि, लिप्यासन के आधार पर पाण्डुलिपि : प्रकार, 1. कठोर लिप्यासन, 2. कोमल लिप्यासन, पाण्डुलिपियों के अन्य प्रकार, 1. आकार के आधार पर, 2. लेखन-शैली के आधार पर, 3. चित्र-सज्जा के आधार पर, 4. सामान्य स्याही से भिन्न स्याही में लिखित आधार पर, 5. अक्षरों के आकार-आधारित प्रकार, शिलालेखीय प्रकार, शिलालेखों की छाप लेने की विधि, छाप लेने की सामग्री।
अध्याय 4
108-139 पाण्डुलिपि की लिपि : समस्या और समाधान : 1. पाण्डुलिपिविज्ञान और लिपि, 2. लिपि का विकास-क्रम, 3. लिपि का इतिहास, 4. देवनागरी लिपि और पूर्ववर्ती लिपियाँ, 5. खरोष्ठी लिपि, 6. ब्राह्मीलिपि, 7. ब्राह्मी की उत्पत्ति, 8. ब्राह्मी भारतीय लिपि है, 9. ब्राह्मी वर्णमाला, 10. भारत में प्रचलित लिपियाँ, 11. देवनागरी लिपि : समस्याएँ, 12. विशिष्ट वर्ण चिह्न, 13. उदात्त-अनुदात्त ध्वनि-वर्ण।
अध्याय 5
140-154 पाठालोचन : 1. मूलपाठ, 2. लिपिक का सर्जन, 3. पाण्डुलिपि : वंश-वृक्ष, 4. मूलपाठेतर प्रतिलिपि और पाठालोचन, 5. पाठालोचन : शब्द-अर्थ का महत्व, 6. पाठालोचन की प्रणालियाँ, 7. पाठालोचन-प्रक्रिया, 8. मूलपाठप्रतियाँ, 9. मूलपाठ : तुलना, 10. तुलना के आधार, 11. बाह्य एवं अन्तरंग सम्भावनाएँ, 12. 'अर्थ-न्यास' का पाठालोचन में महत्व, 13. मूलपाठ-निर्माण।
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