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विवरणिका
सामान्य पाण्डुलिपिविज्ञान
1-22 1. विषय-प्रवेश, 2. पाण्डुलिपिविज्ञान : नामकरण की समस्या, 3. पाण्डुलिपि के भेद, 4. पाण्डुलिपिविज्ञान क्या है?, 5. पाण्डुलिपि वैज्ञानिक से अपेक्षाएँ, 6. पाण्डुलिपिविज्ञान के पक्ष, 7. पाण्डुलिपिविज्ञान की आवश्यकता, 8. पाण्डुलिपिविज्ञान का अन्य विज्ञानों से संबंध, 9. पाण्डुलिपि-पुस्तकालय (आगार), 10. आधुनिक पाण्डुलिपि पुस्तकालय।
अध्याय 1
23-69 पाण्डुलिपि-ग्रंथ : रचना-प्रक्रिया : 1. पाण्डुलिपि-ग्रंथ-रचना के पक्ष, 2. लेखक और लिपिकर्ता, 3. लेखक-लिपिकर्ता के गुण, 4. लिपिकर्ता का महत्व, 5. लिपिकार के प्रकार, 6. प्रतिलिपि में की गई विकृतियाँ और उनके परिणाम, 7. पाण्डुलिपि की भूलों के निराकरण का उद्देश्य, 8. प्रतिलिपि में विकृतियाँ : क्यों और कैसे?, 9. 'उद्देश्य' क्यों लिखा जाता है?, 10. 'उद्देश्य' के कारणों से होनेवाली पाठ-संबंधी विकृतियाँ, 11. लेखन-प्रक्रिया (लिपि), 12. लेखन-परम्पराएँ, 13. अन्य विशिष्ट परम्पराएँ, 14. शुभाशुभ, 15. स्याही, 16. स्याही बनाते समय की सावधानियाँ एवं निषेध, 17. अन्य प्रकार की स्याहियाँ, 18. चित्र-रचना और रंग, 19. चित्रलिखित पाण्डुलिपियों का महत्व, 20. काव्यकला और चित्रकला, 21. पाण्डुलिपि-रचना में प्रयुक्त अन्य उपकरण।
अध्याय 2
70-87 पाण्डुलिपि-प्राप्ति के प्रयत्न और क्षेत्रीय अनुसंधान : (अ) पुस्तकालय स्तर पर, (ब) निजी स्तर पर, 1. अनुसंधानकर्ता, 2. क्षेत्रीय अनुसंधानकर्ता के गुण, 3. क्षेत्रीय अनुसंधानकर्ता का करणीय, 4. प्राप्त पाण्डुलिपि का विवरण, 5. पाण्डुलिपि-विवरण-प्रस्तुतीकरण-प्रारूप, 6. पाण्डुलिपि-विवरण में अन्य अपेक्षित बातें, 7. ग्रंथ का आन्तरिक परिचय, 8. पाण्डुलिपि-विवरण (रिपोर्ट)
( ix )
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