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. 31.
.
= इन्द्रिय रूपी दुर्दम घोड़े = नियन्त्रित किए जाते हैं = दमनरूपी ज्ञानकी लगाम से = कुमार्ग गामी = वंश में किये जाते हैं . = निश्चित रूप से = लगाम द्वारा' . = जैसे .
. - घोड़े . .
जह
तुरया
झाणं
इन्दियदुद्दन्तस्सा [(इन्दिय) + (दुद्दन्त) + (अस्सा)]
[(इन्दिय)-(दुद्दन्त)-(अस्स) 1/2] णिग्घिप्पन्ति (णिग्धिप्प) व कर्म 3/2 सक अनि दमणाणखलिणेहिं [(दम)-(णाण)-(खलिण) 3/2] उप्पहगामी
(उप्पहगामी) 1/2 णिग्धिप्पन्ति (णिग्घिप्प) व कर्म 3/2 सक अनि
अव्यय खलिणेहिं (खलिण) 3/2
अव्यय (तुरय) 1/2
. . 32. .
(झाण) 1/1 कसायरोगेसु [(कसाय)-(रोग) 7/2] होदि
(हो) व 3/1 अक वेज्जो (वेज्ज) 1/1 तिगिछदे (तिगिछ) व 3/1 सक
(कुसल) 1/1 वि
(रोग) 7/2 जहा
अव्यय वेज्जो (वेज्ज) 1/1 पुरिसस्स (पुरिस) 6/1 तिगिछओ (तिगिछअ) 1/1
(कुसल) 1/1 33.
(झाण) 1/1 विसयछुहाए [(विसय)-(छुहा) 7/1]
अव्यय होइ
3/1 अक
कुसलो
= ध्यान (रूपी) = कषाय रूपी रोगों में . = होता है = वैद्य = चिकित्सा करता है = कुशल = रोगों में = जिस प्रकार = वैद्य = व्यक्ति के = चिकित्सक
रोगेसु
कुसलो
= कुशल
झाणं
= ध्यान = विषयरूपी भूख में = और = होता है
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग-2
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