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जसं
(जस)2/1
॥
अव्यय
॥
अत्थं
॥
लभदि
(अत्थ) 2/1 (लभ) व 3/1 सक (सकज्ज) 2/1 अव्यय
= धन को
करता है अपने कार्य को
॥
सकज्ज
॥
और
॥
साहेदि
(साह) व 3/1 सक
= सिद्ध करता है
॥
24. तेलोक्केण
= तीनों लोक से = भी
वि.
= मन की
चित्तस्स णिव्वुदी णत्थि
= तृप्ति (सन्तुष्टि) .. = नहीं
(तेलोक्क) 3/1
अव्यय (चित्त) 6/1 (णिव्वुदि) 1/1 [(ण)+(अत्थि)] ण (अव्यय) अत्थि (अस) व 3/1 अक [(लोभ)-(घत्थ) 6/1] (संतुट्ठ) 1/1 वि अव्यय (अलोभ) 1/1 वि (लभ) व 3/1 सक (दरिद्द) 1/1 वि
लोभघत्थस्स संतुट्ठो
अलोभो
= लोभ से ग्रस्त (व्यक्ति) के = सन्तुष्ट = किन्तु = निर्लोभी = प्राप्त करता है = दरिद्र = भी = निर्वाण को
लभदि दरिद्दो
अव्यय
(णिव्वाण) 2/1
णिव्वाणं 25. विज्जू
व
चंचलाई दिट्ठपणट्ठाई सव्वसोक्खाई
(विज्जु) 1/1
= बिजली अव्यय
= की तरह (चंचल) 1/2 वि
= चंचल [(दिट्ठ) भूकृ अनि-(पणट्ठ) भूकृ 1/2 अनि] = देखे गये हैं, नष्ट होते [(सव्व) सवि-(सोक्ख) 1/2] = समस्त सुख
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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