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रुद्दहिदओ णारगसीलो
[(रुद्द) वि- (हिदअ) 1/1] (णारगसील) 1/1 वि (णर) 1/1 (हो) व 3/1 अक
= रौद्र हृदयवाला = नारकी = मनुष्य = होता है
णरो
होदि
माणी विस्सो
सव्वस्स
(माणि) 1/1 (विस्स) 1/1 वि (सव्व) 4/1 स (हो) व 3/1 अक [(कलह)-(भय)-(वेर)(दुक्ख) 2/2] (पाव) व 3/1 सक (माणि) 1/1
= अभिमानी = द्वेष करने योग्य = सभी के लिए = होता है = कलह, भय, वैर,
होदि कलहभयवेरदुक्खाणि पावदि
दुःखों को
माणी
= पाता है = अभिमानी = नियम से = इस (लोक) में
णियदं
अव्यय
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इह
-अव्यय
परलोए
(परलोअ) 7/1
= पर लोक में
य
अव्यय
-तथा
अवमाणं .
(अवमाण) 2/1
= अपमान को
23.
सयणस्स
= स्वजन का
जणस्स
पिओ ...
णरों
अमाणी
(सयण) 6/1 वि (जण) 6/1 (पिअ) 1/1 वि (णर) 1/1 (अमाणि) 1/1 वि अव्यय (हव) व 3/1 अक (लोअ) 7/1 (णाण) 2/1
= (पर) जन का = प्रिय = व्यक्ति = मान रहित. = सदा = होता है = लोक में
सदा
हवदि
लोए
णाणं
= ज्ञान
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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