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16:
जह
अव्यय
= जैसे
मारुओ
पवढ्इ
(मारुअ) 1/1 (पवड) व 3/1 अंक क्रिवि (वित्थर) व 3/1 अक (अब्भ) 'य' स्वार्थिक 1/1
= हवा = बढ़ती है = क्षणभर में = फैल जाता है
खणेण
वित्थरइ अब्भयं
अव्यय
जहा
अव्यय
-तर
जीवस्स
= जीव का
तहा
= उसी तरह
लोभ ...
लोभो
.
(जीव) 6/1 अव्यय (लोभ) 1/1 (मंद) 1/1 वि अव्यय (खण) क्रिविअ 3/1 (वित्थर) व 3/1 अक
= मन्द
= क्षणभर में
खणेण वित्थरइ
= बढ़ जाता है
17.
लोभे
(लोभ) 7/1
अव्यय
य वहिदे
= लोभ = वाक्यालंकार = बढ़ा हुआ होने पर = फिर
पुण
कज्जाकज्जं
णरो
(वड्ढ) भूकृ7/1
अव्यय [(कज्ज)+ (अकज्ज)] [(कज्ज)-(अकज्ज) 2/1] (णर) 1/1 अव्यय (चिंत) व 3/1 सक अव्यय (अप्पण) 1/1 वि
= कार्य-अकार्य को = मनुष्य = नहीं = विचारता है
चिंतेदि
- फिर
अप्पणो
अपनी
अव्यय
-भी
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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