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कडिल्लमिच्छदि [(कडिल्लं)+ (इच्छदि)]
कडिल्लं (कडिल्ल) 2/1
इच्छदि (इच्छ) व 3/1 सक अंधलओ (अंधलअ) 'अ' स्वार्थिक 1/1 वि अंधयारम्मि (अंधयार) 7/1
- जंगल को, = इच्छा करता है
= अन्धा
= अन्धकार में
अव्यय
= जैसे .. = तुम्हारे लिए
= नहीं
पियं
= प्रिय
दुक्ख
= दुःख
तहेव
= उसी प्रकार (का भाव)
-उन
..
.
.
= भी
जाण
(तुम्ह) 4/1 स अव्यय (पिय) 1/1 वि (दुक्ख) 1/1 अव्यय (त) 4/2 सवि अव्यय (जाण) विधि 2/1 सक (जीव) 4/2 अव्यय (णच्चा) संकृ अनि [(अप्प)+(उवमिवो)] [(अप्प)-(उवमिव) 1/1 वि] (जीव) 7/2 (हो) व 3/1 अक
= जान
जीवाणं
' = जीवों के लिए
एवं
= इस प्रकार
णच्चा
= जानकर
अप्पोवमिवो
जीवेसु
= आत्म-सदृश = जीवों के प्रति = होता है
सदा
अव्यय
= सदा
6.
सव्वेसिमासमाणं [(सव्वेसिं)+(आसमाणं)]
सव्वेसिं (सव्व) 6/2 स
आसमाणं (आसम) 6/2 हिदयं (हिदय) 1/1 गब्भो (गब्भ) 1/1
= समस्त = आश्रमों का
= हृदय
= गर्भ
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ भाग - 2
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