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और वे क्रम से (विचरण करते हुए) सिंह, गज, रुरु (मृगविशेष), चमरीमृग एवं शरभ से शब्दायमान (तथा) सघन वृक्षों से आच्छन्न ही पारियात्र (देश विशेष) के जंगल में पहुँचे।
वहाँ (वे) बहुत (से) भयंकर मगरमच्छों से व्याप्त जल से समृद्धगम्भीरा नामक नदी को देखते हैं (जिसमें ) तरंगों का समूह उठा हुआ (है)।
तब राम के द्वारा सैन्य से युक्त सब ही सुभट कहे गये (कि), यह जंगल अत्यन्त भयंकर ( है ) ( इसीलिए) तुम्हारे द्वारा लौट जाना चाहिए ।
पिता के द्वारा राज्य में भरत सकल पृथ्वी के स्वामी निश्चित किए गए हैं। (मैं) दक्षिण पथ को जाता हूँ। तुम सब निश्चयपूर्वक लौट जाओ ।
( तब ) वे सुभट कहते हैं- हे स्वामी! तुमको परित्याग करके राज्य, सैन्य और विविध देह सुख से भी क्या (प्रयोजन है ) ?
सिंह, रीछ, भालू, चीते और सघन वृक्षों एवं पर्वतों से व्याप्त जंगल में (हम) आपके साथ रहेंगे ( रहते हैं ) । हम अशरणों के लिए (आप) दया करें।
13. सुभटों की अनुज्ञा लेकर (और) हाथों से अलिंगित की हुई सीता को पकड़कर राम ने लक्ष्मण के साथ गम्भीर नदी पार की ( करते हैं) ।
14. दूरवर्ती किनारे पर स्थित लक्ष्मण सहित राम को देखकर वे सब ही सुभट विलाप करते हुए वापस लौटे।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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