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15. अन्ने पुण गिहधम्मं, घेत्तूण नराहिवा विसयहुत्ता।
पत्ता साएयपुरी, भरहस्स फुडं निवेएन्ति।
16. सीया-लक्खणसहिओ, न नियत्तो राघवो गओ रण्णं।
सोऊण वयणमेयं, भरहो अइदुक्खिओ जाओ।
17.
पुत्तेसु पर विएसं, गएसु अवराइया य सोमित्ती। भत्तारे पव्वइए, सोयसमुद्दम्मि पडियाओ।
18.
सुयसोगदुक्खियाओ, ताओ दट्ठण केगई देवी। तो भणइ निययपुत्तं, वयणमिणं मे निसामेहि॥
19. निक्कण्टयमणुकूलं, पुत्त! तुमे पावियं महारज्ज।
पउमेण लक्खणेण य, रहियं न य सोहए एयं॥
20. ताणं चिय जणणीओ, पुत्तविओगम्मि जायदुक्खाओ।
काहिन्ति मा हु कालं, आणेहि लहुं वरकुमारे।
21. जणणीऍ वयणमेयं, सुणिऊण तुरंगमं समारूढो।
तुरन्तो च्चिय भरहो, ताणं अणुमग्गओ लग्गो॥
22.
इय दिट्ठा वि य समयं, महिलाए ते कुमारवरसीहा। पुच्छन्तो पहियजणं, वच्चइ भरहो पवणवेगो॥
23.
अह ते नईएँ तीरे, वीसममाणा महावणे भीमे। सीयाएँ समं पेच्छइ, भरहो पासत्थवरधणुया॥
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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