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उक्किट्ठाए गईए सिग्धं चवलं तुरियं चंड जइणं
उत्कृष्ट गति से (चला गया) जल्दी से स्फूर्तिपूर्वक तेजी से
आवेशपूर्वक वेगपूर्वक शीघ्रतापूर्वक जहाँ
वेगिई
जेणेव
वह
कुम्मए तेणेव
(उक्किट्ठा) 3/1 वि (गइ)3/1 (सिग्घ) 2/1 क्रिवि (चवल) 2/1 क्रिवि (तुरिय) 2/1 क्रिवि (चंड) 2/1 क्रिवि (जइण) 2/1 क्रिवि (वेगिई) 2/1 क्रिवि अव्यय (त) 1/1 सवि (कुम्म) 'अ' स्वार्थिक 1/1 अव्यय (उवागच्छ) व 3/2 अक (उवागच्छ) संकृ (त) 6/1 सवि
अव्यय (कुम्म) 'ग' स्वार्थिक 6/1 (त) 2/1 सवि (पाय) 2/1 (नख) 3/2 (आलुप) व 3/2 सक (दंत) व 3/2 सक (अक्खोड) व 3/2 सक
कछुआ वहाँ समीप आते हैं
उवागच्छति उवागच्छित्ता
समीप आकर
तस्स
उस
पादपूरक कछुए के
कुम्मगस्स
उस
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पायं नखेहिं आलुपंति दंतेहिं अक्खोडेंति तओ
फाड़ते हैं दाँतों से तोड़ते हैं उसके
अव्यय
पच्छा
अव्यय
बाद
मंसं
(मंस) 2/1
माँस
अव्यय
और
सोणियं
1.
(सोणिय) 2/1
रक्त का कभी-कभी संज्ञा शब्द की द्वितीया विभक्ति का एकवचन रूप भी क्रिया विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है। (संस्कृत व्याकरण, डॉ. प्रीतिप्रभा गोयल)
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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