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संचिटुंति
(संचिट्ठ) व 3/2 अक
ठहरते हैं
10.
तत्थ
अव्यय
वहाँ
अव्यय
वाक्यालंकार
एगे
कुम्मए
ते
पावसियालए चिरंगए
(एग) 1/1 वि
एक (कुम्म) 'अ' स्वार्थिक 1/1
कछुआ (त) 2/2 सवि
उन [(पाव)-(सियाल) 'अ' स्वार्थिक 2/2] पापी सियारों को [(चिरं) अव्यय-(गअ) भूक 7/1] दीर्घकाल व्यतीत होने पर [(दूर)-(गअ) भूक 2/2]
दूर गया हुआ (जाण) संकृ
जानकर अव्यय
धीरे
दूरगए जाणित्ता
सणियं सणियं
धीरे
एगं
अव्यय (एग) 2/1 वि (पाय) 2/1 (निच्छुभ) व 3/2 सक अव्यय
एक पैर को
पायं निच्छुभइ
बाहर निकालता है
तए
तत्पश्चात्
पावसियालया तेणं
अव्यय
पादपूरक (त) 1/2 सवि [(पाव)-(सियाल) 'य' स्वार्थिक 1/2] पापी सियार (त) 3/1 सवि
उस (कुम्म) 'अ' स्वार्थिक 3/1
कछुए के द्वारा
कुम्मएणं
अव्यय
धीरे
सणियं सणियं
अव्यय
या
एक
पैर
एगं पायं नीणियं पासंति पासित्ता
(एग) 2/1 वि (पाय) 2/1 (नीणिय) भूकृ 2/1 अनि (पास) व 3/2 सक (पास) संकृ (ता) 3/2 स
बाहर निकाला हुआ देखते हैं
देखकर
ताए
उनके द्वारा
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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