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________________ अव्यय और आहारेंति भोजन करते हैं भोजन करके आहारित्ता तं (आहार) व 3/2 सक (आहार) संकृ (त) 2/1 सवि (कुम्म) 'ग' स्वार्थिक 2/1 11.11. अव्यय कुम्मगं सव्वओ समंता उव्वत्तेति उस कछुए को चारों तरफ से सब तरफ से उलटा करते हैं अव्यय (उव्वत्त) व 3/2 सक जाव अव्यय तब अव्यय नहीं चेव अव्यय पादपूरक समर्थ होते हैं संचाइंति अव्यय (संचाय-सचाअ-संचाएन्ति-संचाइंति) व 3/2 सक (कर) हेकृ करने के लिए करेत्तए ताहे दोच्च अव्यय उस समय अव्यय दूसरी बार पि अव्यय भी अवक्कमंति (अवक्कम) व 3/2 सक एवं अव्यय बाहर निकलते हैं/जाते हैं और चारों चत्तारि (चउ) 1/2 वि अव्यय वि पाया (पाय) 1/2 जाव अव्यय तब अव्यय धीरे सणियं सणियं अव्यय धीरे गीवं गर्दन को णीणेड बाहर निकालता है। (गीवा) 2/1 (णीण) व 3/1 सक अव्यय अव्यय तए तत्पश्चात् पादपूरक प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 355 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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