SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक एगाए भित्तीए भीत पर एसा यह सूक्ति लिखी गई लिहिआ एगया एक बार इस एयं सुत्तिं ससुरेण (एगा) 7/1 वि (भित्ति) 7/1 वि (एता) 1/1 सवि (सुत्ती) 1/1 (लिह) भूकृ 1/1 अव्यय (एआ) 2/1 सवि (सुत्ति) 2/1 (ससुर) 3/1 (वाय) संकृ (चिंत) भूकृ 1/1 (एअ) 1/2 सवि (जामायर) 1/2 [(खज्ज)-(रस)-(लुद्ध) 1/2 वि] अव्यय सूक्ति को ससुर के द्वारा पढ़कर विचार किया गया वाइऊण चिंति एए जामायरा खज्जरसलुद्धा कयावि दामाद भोजन-रस-लोभी कभी भी अव्यय नहीं गच्छेज्जा (गच्छ) भवि 3/2 सक जायेंगे तओ अव्यय तब एए बोहियव्वा समझाए जाने चाहिए एवं इस प्रकार चिंतिऊण सोचकर (एअ) 1/2 स (बोह) विधिकृ 1/2 अव्यय (चिंत) संकृ (त) 6/1 सवि [(सिलोग)-(पाय) 6/1] (हिट्ठि) 7/1 [(पाय)-(त्तिअ) 1/1] (लिह) भूकृ 1/1 तस्स सिलोगपायस्स हिटुंमि पायत्तिगं लिहिअं उस श्लोक के चरण के नीचे तीन चरण लिखे गये जइ अव्यय यदि वसई (वस) व 3/1 अक (विवेगि) 1/1 वि रहता है विवेकी विवेगी 320 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy