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पंच
छव्वा
दिणाई दहिघयगुडलुद्धा मासमेगं
मास,
(पंच) 1/2 वि
पाँच (छ) 1/2 वि
छः (दिण) 1/2
दिन [(दहि)-(घय)-(गुड)-(लुद्ध) 1/2 वि] दही, घी एवं गुड़ का लोभी [(मासं)+ (एग)] मासं (मास) 2/1 एग (एग) 2/1 वि (वस) व 3/1 अक
रहता है (त) 1/1 सवि
वह (हव) व 3/1 अक
होता है [(खर)-(तुल्ल) 1/1 वि]
गधे के समान (माणव) 1/1
मनुष्य (माणहीण) 1/1 वि
मानहीन
एक
वसेज्जा
हवा खरतुल्लो माणवो माणहीणो
तेहिं जामायरेहिं पायत्तिगं वाइअं पि खज्जरसलुद्धत्तणेण
(त) 3/2 सवि (जामायर) 3/2 [(पाय)-(त्तिग) 1/1 वि] (वाय-वाअ) भूकृ 1/1
अव्यय [(खज्ज)-(रस)-(लुद्धत्तण) 3/1 वि]
उन दामादों के द्वारा तीनों पाद पढ़े गये
भी
भोजनरस के लालची होने के कारण
तओ
तब
गंतुं
जाने के लिए
नेच्छंति
नहीं.
इच्छा
करते हैं
ससुरो
अव्यय (गंतुं) हेकृ अनि [(न) + (इच्छंति)] न अव्यय इच्छंति (इच्छ) व 3/2 सक (ससुर) 1/1 अव्यय (चिंत) व 3/1 सक अव्यय (एअ) 1/2 स
ससुर भी
चिंतेइ
विचार करता है कैसे
कह
एए
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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