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3.
एक बार संसार
असार
लक्ष्मी
भी
असार
वि
भी विनाशशील
एक
धर्म
ही
परलोक जानेवाले
एगया
अव्यय संसारो
(संसार) 1/1 असारो
(असार) 1/1 लच्छी
(लच्छी ) 1/1
अव्यय असारा
(असार(स्त्री)असारा) 1/1 देहो
(देह) 1/1
अव्यय विणस्सरो
(विणस्सर) 1/1 एगो
(एग) 1/1 वि धम्मो
(धम्म) 1/1 च्चिय
अव्यय परलोगपवन्नाणं
[(परलोग)-(पवन्न) 4/2 वि] जीवाणमाहारु
[(जीवाणं)+(आहारु) जीवाणं (जीव) 4/2
आहारु (आहार)' 1/1 त्ति
अव्यय उवएसदाणेण
[(उवएस)-(दाण) 3/1] नियभत्ता
(निय)-(भत्तु) 1/1 सव्वण्णधम्मेण
[(सव्वण्ण)-(धम्म) 3/1] वासिओ
(वास) भूकृ 1/1 कओ
(कअ) भूकृ 1/1 अनि
अव्यय सासूमवि
[(सासुं)+ (अवि)] सासु (सासू) 2/1
अवि (अव्यय) कालंतरे
[(काल)+(अंतरे)]
[(काल)-(अंतर) 7/1] बोहेइ
(बोह) व 3/1 सक ससुरं
(ससुर) 2/1 अपभ्रंश का प्रत्यय है।
जीवों के लिए, आधार
इस प्रकार उपदेश देने से निजपति सर्वज्ञ के धर्म से संस्कारित
किया गया
इस प्रकार सासू को, भी
कुछ समय पश्चात्
समझाती है
ससुर को
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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