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अस्स
अमंगलियस्स
अमांगलिक का
सरूवं
स्वरूप मेरे द्वारा
मए पच्चक्खं
प्रत्यक्ष
दिटुं
देखा गया इसलिए
तओ एसो हंतव्वो
(इम) 6/1 सवि (अमंगलिय) 6/1 वि (सरूव) 1/1 (अम्ह) 3/1 स (पच्चक्ख) 1/1 (दिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (एत) 1/1 स (हंतव्व) विधिकृ 1/1 अनि अव्यय (चिंत) संकृ (अमंगलिय) 2/1 (बोल्ल) प्रे संकृ (वहत्थं) क्रिविअ (चंडाल) 4/1 (अप्प) व 3/1 सक अव्यय (एत) 1/1 स (रुअ) वकृ 1/1 [(स)-(कम्म) 2/1] (निंद) वकृ 1/1 (चंडाल) 3/1
यह मारा जाना चाहिए इस प्रकार विचारकर अमांगलिक को
चिंतिऊण अमंगलियं बोल्लाविऊण वहत्थं चंडालस्स
बुलवाकर वध के लिए चाण्डाल को सौंपता है (सौंपा)
अप्पेइ
जया
जब
एसो रुयंतो
सकम्म निंदंतो
यह रोता हुआ स्वकर्म को (की) निन्दा करता हुआ चण्डाल के
चंडालेण
अव्यय
साथ
सह गच्छंतो
जा रहा
(गच्छ) वकृ 1/1 (अस) व 3/1 अक
अत्थि
है (था)
तया
अव्यय
तब
एगो
एक
कारुणिओ बुद्धिणिहाणो
(एग) 1/1 वि (कारुणिअ) 1/1 वि [(बुद्धि)-(णिहाण) 1/1 वि]
दयावान बुद्धिमान ने (बुद्धि के भण्डार)
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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