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________________ पक्खिवइ रखता है (रखा) त्योंहि तया अहिलंमि समस्त (पक्खिव) व 3/1 सक अव्यय (अहिल) 7/1 वि (नयर) 7/1 अव्यय [(परचक्क)-(भय) 3/1] नयरे नगर में अकम्हा परचक्कभएण अकस्मात् शत्रु के द्वारा आक्रमण के भय से शोरगुल हुआ हलबोलो जाओ तया तब नरवइ राजा भी भोयणं चिच्चा (हलबोल) 1/1 (जाअ) भूकृ 1/1 अनि अव्यय (नरवइ) 1/1 अव्यय (भोयण) 2/1 (चिच्चा) संकृ अनि अव्यय (उट्ठ- उत्थ) संकृ [(स) वि-(सेण्ण) 1/1] (नयर) 5/1 अव्यय (निग्गअ) भूकृ 1/1 अनि भोजन को छोड़कर शीघ्र सहसा उठकर सेनासहित उत्थाय ससेण्णो नयराओ बाहिं निग्गओ नगर से बाहर निकला भयकारणमदट्ठण भय के कारण को, न, देखकर [(भय)+(कारणं) + (अदट्टण)] [(भय)-(कारण) 2/1] [(अ)-(दळूण)] (अ) अव्यय (दळूण) संकृ अनि अव्यय फिर बाद में अव्यय पुणो पच्छा आगओ समाणो नरिंदो चिंतेइ आ गया अहंकारी (आगअ) भूकृ 1/1 अनि (समाण) 1/1 वि (नरिंद) 1/1 (चिंत) व 3/1 सक राजा सोचता है (सोचा) 276 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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