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लहेज्जा
(लह) व 3/1 सक (पउर) 1/2 वि
पाता है नगर के निवासी
पउरा
भी
वि पच्चूसे कया वि
प्रात:काल में कभी भी
तस्स
उसके
मुँह को
नहीं
पिक्खंति
देखते हैं राजा के द्वारा
नरवइणा
वि
भी
अमांगलिक पुरुष की
बात
अमंगलियपुरिसस्स वा सुणिआ परिक्खत्थं
नरिंदेण
अव्यय (पच्चूस) 7/1 अव्यय (त) 6/1 स (मुह) 2/1 अव्यय (पिक्ख) व 3/2 सक (नरवइ) 3/1 अव्यय [(अमंगलिय)-(पुरिस) 6/1] (वट्टा) 1/1 (सुण) भूकृ 1/1 (परिक्खत्थं) क्रिविअ (नरिंद) 3/1 अव्यय [(पभाय)-(काल) 7/1] (त) 1/1 स (आहूअ) भूक 1/1 अनि (त) 6/1 स (मुह) 1/1 (दिट्ठ) भूक 1/1 अनि अव्यय (राअ) 1/1 (भोयणत्थं) क्रिविअ उवविसइ (उवविस) व 3/1 अक (कवल) 2/1 अव्यय (मुह) 7/1
सुनी गई परीक्षा के लिए राजा के द्वारा एक बार प्रभातकाल में
एगया
पभायकाले
सो
वह
बुलाया गया
उसका
आहूओ तस्स मुहं दिटुं
मुख देखा गया ज्योहि
जया
राया भोयणत्थमुवविसइ
राजा भोजन के लिए बैठता है
कवलं
ग्रास
और मुँह में
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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