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________________ पउमं आलिंगिऊण रोवन्ती संभासेइ कमेणं सीयासहियं (पउम) 2/1 (आलिंग) संक (रोव) वकृ 1/1 (सम्भास) व 3/1 सक (कम) 3/1 क्रिवि [(सीया)-(सहिय) 2/1 वि] अव्यय (सोमित्ति) 2/1 राम को आलिंगन कर रोती हुई कहती है क्रम से सीतासहित और सोमित्तिं लक्ष्मण को 31. तब केगई कैकेयी ने पवुत्ता कहा हे पुत्र! अयोध्या नगरी अव्यय (केगई) 1/1 (पवुत्त) भूक 1/1 अनि (पुत्त) 8/1 [(विणीया)-(पुरी) 7/1] (वच्च) व 1/2 सक (रज्ज) 2/1 (कर) विधि 2/1 सक (णियय) 2/1 वि (भरह) 1/1 पुत्त विणीयापुरिम्मि वच्चामो रज्जं करेहि निययं भरहो चलते हैं राज्य करो अपना भरत अव्यय अव्यय और सिक्खणीओ (सिक्ख) विधिकृ 1/1 (तुम्ह) 3/1 स सिखाया जाना चाहिए तुम्हारे द्वारा 32. तो . अव्यय तब भणइ पउमणाहो अम्मो कहता है (कहते हैं) राम (भण) व 3/1 सक (पउमणाह) 1/1 (अम्मा) 8/1 अव्यय हे माता! किं क्या खत्तिया (खत्तिय) 1/2 क्षत्रिय प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 271 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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