SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 274
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अत्यन्त दुःखी अइदुक्खिओ जाओ [(अइ)-(दुक्खिअ) 1/1 वि] (जा) भूकृ 1/1 हुआ 17. पुत्तेसु पुत्रों के पर दूसरे विएस गएसु अवराइया (पुत्त) 7/2 अव्यय (विएस) 2/1 (गअ) भूक 7/2 अनि (अवराइया) 1/1 अव्यय (सोमित्ती) 1/1 (भत्तार) 7/1 (पव्वइअ) 7/1 वि [(सोय)-(समुद्द) 7/1] (पड) भूकृ 1/2 सोमित्ती भत्तारे देश गये हुए होने पर अपराजिता और सुमित्रा पति के प्रव्रजित होने पर शोक समुद्र में पड़ (डूब) गई पव्वइए सोयसमुद्दम्मि पडियाओ 18. पुत्र के शोक में दुःखी उनको सुयसोगदुक्खियाओ ताओ दह्ण केगई देखकर कैकेयी देवी देवी [(सुय)-(सोग)-(दुक्खिय) 2/2 वि] (ता) 2/2 सवि (दळूण) संकृ अनि (केगई) 1/1 (देवी) 1/1 अव्यय (भण) व 3/1 सक [(नियय) वि-(पुत्त) 2/1] [(वयणं)+ (इणं)] वयणं (वयण) 2/1 इणं (इम) 2/1 सवि (अम्ह) 6/1 स (निसाम) विधि 2/1 सक भणइ निययपुत्तं वयणमिणं तब कहती है अपने पुत्र को वचन यह (इस) मेरा निसामेहि सुन 19. निक्कण्टयमणुकूलं [(निक्कण्टयं)+ (अणुकूलं)] निक्कण्टयं (निक्कण्टय) 2/1 वि अणुकूलं (अणुकूल) 2/1 वि। निष्कन्टक, अनुकूल प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 265 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy