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हे पुत्र! तुम्हारे द्वारा पाया गया
महाराज्य
पावियं महारज्जं पउमेण लक्खणेण
(पुत्त) 8/1 (तुम्ह) 3/1 स (पाव) भूक 1/1 (महारज्ज) 1/1 (पउम) 3/1 (लक्खण) 3/1 अव्यय (रहिय) भूकृ 1/1 अनि
राम के लक्ष्मण के और
रहियं
बिना
अव्यय
नहीं
अव्यय
सोहए
(सोह) व 3/1 अक (एअ) 1/1 सवि
पादपूर्ति शोभता है यह
एयं
20. ताणं
(ता) 6/2 स
उनकी
चिय
जणणीओ पुत्तविओगम्मि जायदुक्खाओ काहिन्ति
अव्यय
निश्चयवाचक (जणणी) 1/2
माताएँ [(पुत्त)-(विओग) 7/1]
पुत्र के वियोग में [(जाय) भूक अनि-(दुक्खा) 1/2 वि] दुःखी हुई (का) भवि 3/1 सक
कर लें अव्यय अव्यय
पादपूर्ति (काल) 2/1
काल (आण) विधि 2/1 सक
ले आओ अव्यय
शीघ्र [(वर) वि-(कुमार) 2/2]
कुमारवरों को
कालं आणेहि
लहुं वरकुमारे
21.
जणणीए वयणमेयं
(जणणी) 6/1 [(वयणं)+ (एयं)] वयणं (वयण) 2/1 एयं (एअ) 2/1 सवि (सुण) संकृ
माता का वचन, यह
सुणिऊण
सुनकर
266
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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