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बन्धू
बन्धु
कलुणपलावं
(बन्धु) 1/1 [(कलुण)-(पलाव) 2/1] अव्यय
करुण रुदन
भी
कुणमाणा
(कुण) वकृ 1/2
करते हुए
50.
जंपन्ति एक्कमेक्कं
बात करते हैं प्रत्येक
एस
यह
पुरी
जइ वि जणवयाइण्णा
नगरी यद्यपि जनपद से परिपूर्ण
(जंप) व 3/2 सक (एक्कमेक्क) 1/1 वि (एता) 1/1 सवि (पुरी) 1/1 अव्यय [(जणवय)+ (आइण्णा)] [(जणवय)-(आइण्ण) भूकृ 1/2 अनि] (जाया) भूकृ 1/2 अनि [(राम)-(विओअ) 7/1] (दीसइ) व कर्म 3/1 सक अनि [(विझ) + (अडवी)] [(विझ)-(अडवी) 1/1] [(च)+ (एवं)] च (अव्यय) एव (अव्यय)
थी
जाया रामविओए
दीसइ
राम के वियोग में देखी जाती है विन्ध्याटवी
विझाडवी
चेव
की भाँति
51. लोगो
वि
उस्सुयमणो जंपइ
लोग भी शोकान्वित मनवाले कहता है (कहते हैं) धन्य
धन्ना
इमा
(लोग) 1/1 अव्यय [(उस्सुय)-(मण) 1/1 वि (जंप) व 3/1 सक (धन्न-धन्ना) 1/1 (इमा) 1/1 सवि (जणयधूया) 1/1 (जा) 1/1 स (वच्च) व 3/1 सक (परदेस) 2/1 (राम) 3/1
यह
जणयधूया
जनकपुत्री (सीता)
जा
वच्च
परदेसं
जा रही है परदेस राम के
रामेण
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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