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________________ य अव्यय तथा सैंकड़ों सामन्तों से सामन्तसएसु परिमिया घिरे हुए सन्ता रायभवणाउ राजभवन से [(सामन्त)-(सय) 7/2]" (परिमिय) भूकृ 1/2 अनि (सन्त) 1/2 वि [(राय)-(भवण) 5/1] अव्यय (विणिग्गय) भूकृ 1/1 अनि (सुरकुमार) 1/1 अव्यय एत्तो विणिग्गया इस प्रकार बाहर निकले देव कुमार की भाँति सुरकुमार 48. सुयसोगतावियाओ धरणियलोसित्तअंसुनिवहाओ [(सुय)-(सोग)-(ताविअ-ताविआ) पुत्र के शोक भूक 1/2 अनि] से तपायी हुई [(धरणियल)+ (ओसित्त) आँसुओं के (अंसु)+ (निवहाओ)] समूह के कारण [(धरणियल)-(ओसित्त)-(अंसु) जमीन भिगोयी (निवह) 5/1] अव्यय किसी तरह (पणम) संकृ प्रणाम करके (नियत्त-नियत्तिय-नियत्तिया) भूक 1/2 लौटायी गई अव्यय तथा (जणणी) 1/2 माताएँ कह कह वि पणमिणं नियत्तियाओ जणणीओ 49. काऊण करके सिपणाम नियत्तिओ दसरहो (काऊण) संकृ अनि [(सिर)-(पणाम) 2/1] (नियत्त) भूकृ 1/1 (दसरह) 1/1 सिर से प्रणाम लौटाया गया दशरथ अव्यय तथा राम के द्वारा साथ में बड़े हुए रामेणं (राम) 3/1 सहवड्डिया [(सह) अ= साथ-(वड्ड)' भूकृ 1/1] य . अव्यय 1. समूहवाचक के योग में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग हुआ है। 254 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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