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ऐसा
एयं पत्थियं
(एय) 1/1 स (पत्थ) भूकृ 1/1 (कज्ज) 1/1
चाहा गया
कज्ज
कार्य
41.
अव्यय
इस
एत्थ नरिन्दाण
जए
परिवाडीआगयं
हवइ रज्जं विवरीयं चिय रइयं
(नरिन्द) 4/2
राजाओं के लिए (जअ) 7/1
जगत में [(परिवाडी)-(आगय) भूकृ 1/1 अनि] परिपाटी से उत्पन्न (हव) व 3/1 अक
होता है (रज्ज) 1/1
राज्य (विवरीअ) 1/1
विपरीत अव्यय (रअ) भूक 1/1
रचा गया (ताअ) 3/1
पिता के द्वारा [(अ)-(दीहपेहि) 6/2]
अदूरदर्शियों का
ताएण
अदीहपेहीणं
42.
को
गुणाणं
अन्तं पावेड़ धीरगरुयस्स लोभेण
(राम) 6/1
राम के (क) 1/1
कौन (गुण) 6/2
गुणों के (अन्त) 2/1
अन्त को (पाव) व 3/1 सक
पाता है [(धीर)-(गरुय) 6/1 वि]
धैर्यशाली, महान् (लोभ) 3/1
लोभ से (ज) 6/1 स
जिसका (रहिय) 1/1
रहित (चित्त) 1/1
चित्त अव्यय [(मुणिवरस्स) + (एव)]
मुणिवर के, मुणिवरस्स (मुणिवर) 6/1 एव (अव्यय) समान
जस्स
रहियं . चित्तं
चिय मुणिवरस्सेव
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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