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(ता) 2/1 सवि
पयच्छसु जो भणिओ
(अम्ह) 6/1 स (वर) 2/1 (पयच्छ) विधि 2/1 सक (ज) 1/1 स (भण) भूकृ 1/1 [(सुहड)-(सामक्ख) 1/1]
कहा गया था सुभटों के समक्ष
सुहडसामक्खं
18.
भणइ
(भण) व 3/1 सक
कहता है
अव्यय
तब
राजा
तओ नरवसभो दिक्खं मोत्तूण
दीक्षा को
छोड़कर
पिए
हे प्रिये! कहती हो (कहोगी)
भणसि
(नरवसभ) 1/1 (दिक्खा ) 2/1 (मोत्तूण) संकृ अनि (ज) 2/1 स (पिअ) 8/1 (भण) 2/1 सक (त) 2/1 स अव्यय (तुम्ह) 4/1 स (सुन्दरि) 8/1 (सव्व) 2/1 स (संपाडअ) भवि 1/1 सक
वह
अज्ज .
आज
तुज्झ सुन्दरि
तुम्हारे लिए हे सुन्दरी!
सव्वं
सब
संपाडइस्सामि
दूंगा
19. सुणिऊण वयणमेयं
रोवन्ती केगई
(सुण) संकृ [(वयणं) + (एयं)] वयणं (वयण) 2/1 एयं (एअ) 2/1 सवि (रोवन्त-रोवन्ती) वकृ 1/1 (केगई) 1/1 (भण) व 3/1 सक (कन्त) 2/1
सुनकर वचन को, इस रोती हुई कैकेयी कहती है पति को
भणइ कन्तं
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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