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देवी
16.
न
य
मे
पई
ई
न
पुत्तो दोण्णि
वि
दिक्खाहिलासिणो
जाया
चिन्तेमि
तं
उवायं
जेण
यं
वो
नियत्तेमि
17.
तो
सा
विणओवगया
भणइ
निवं
केई
महादेवी
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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(केगई) 1 / 1
(देवी) 1/1
अव्यय
अव्यय
( अम्ह ) 6 / 1 स
(पइ) 1/1
अव्यय
(पुत्त) 1 / 1
(दो) 1/2 वि
अव्यय
[(दिक्खा) + (अहिलासिणो ) ] [(दिक्खा) - (अहिलासिण) 1 / 1 वि]
(जाय) भूकृ 1/2 अनि
( चिन्त) व 1 / 1 सक
(त) 2 / 1 सवि
( उवाय) 2 / 1
अव्यय
(सुय) 2/1
मो-वो (अव्यय)
( नियत्त) व 1 / 1 अक
अव्यय
(ता) 1 / 1 सवि
[ ( विणअ) + ( उवगया ) ]
[ ( विणअ) - ( उवगया) 1 / 1 वि]
(भण) व 3 / 1 सक
(fra) 2/1
(केगई) 1/1
(महादेवी) 1/1
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कैकेयी
देवी
न ही
और
मेरे
पति
न ही
पुत्र
दोनों
कळ
दीक्षा के अभिलाषी
हुए हैं
सोचती हूँ
उस
उपाय को
जिससे
पुत्र को
तो
लौटा लूँ (लौटाती हूँ)
तब
वह
विनयसहित
कहती है
राजा को
कैकेयी
महादेवी
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