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________________ सुख (सुह) 1/1 (वियार) वकृ 2/1 पंचमी अर्थक अव्यय विचार करते हुए निश्चय से सुहं वियारमाणं सुणिच्छयदो 19. इक्को जीवो जायदि एक (अकेला) जीव उत्पन्न होता है अकेला गर्भ में एक्को गब्भम्हि गिण्हदे (इक्क) 1/1 वि (जीव) 1/1 (जाय) व 3/1 अक (एक्क) 1/1 वि (गब्भ) 7/1 (गिण्ह) व 3/1 सक (देह) 2/1 (इक्क) 1/1 वि [(बाल)-(जुवाण) 1/1] (इक्क) 1/1 वि (वुड्ड) 1/1 वि [(जरा)-(गहिअ) भूकृ 1/1 अनि] देहं धारण करता है देह को अकेला इक्को बाल-जुवाणो इक्को बालक और जवान अकेला वुड्डो बूढ़ा जरा-गहिओ निर्बलता से ग्रसित 20. इक्को अकेला रोई रोगी सोई इक्को तप्पेड़ माणसे दुक्खे (इक्क) 1/1 वि (रोइ) 1/1 वि (सोइ) 1/1 वि (इक्क) 1/1 वि (तप्प) व 3/1 अक (माणस) 7/1 वि (दुक्ख) 7/1 (इक्क) 1/1 वि (मर) व 3/1 अक (वराअ) 1/1 वि [(णरय)-(दुह) 2/1] (सह) व 3/1 सक (इक्क) 1/1 वि . इक्को मरदि शोकपूर्ण अकेला तपता है मानसिक दुःख में अकेला मरता है बेचारा नरक के दुःख को सहता है अकेला वराओ णरय-दुहं सहदि इक्को प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 223 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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