SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 233
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अव्यय 21. सव्वायरेण पूर्ण सावधानीपूर्वक जाणह जानो एक्कं [(सव्व) + (आयरेण)] [(सव्व)-(आयर) 3/1 क्रिविअ] (जाण) विधि 2/2 सक (एक्क ) 2/1 वि (जीव) 2/1 (सरीर) 5/1 (भिण्ण) 2/1 वि एक जीव को शरीर से जीवं सरीरदो भिण्णं जम्हि भिन्न अव्यय अव्यय मुणिदे जीवे होदि असेसं खणे (मुण) भूकृ 7/1 (जीव) 7/1 (हो) व 3/1 अक (असेस) 1/1 वि अव्यय (हेय) 1/1 वि क्योंकि निश्चय ही जाने हुए होने पर जीव के होती है सभी (वस्तुएँ) क्षणभर में हेय अव्यय यदि अव्यय नहीं अव्यय तथा (हव) व 3/1 अक जीवो (जीव) 1/1 जीव तो को ता अव्यय (क) 1/1 सवि वेदेदि (वेद) व 3/1 सक सुक्ख-दुक्खाणि [(सुक्ख)-(दुक्ख) 2/2] इंदिय-विसया [(इंदिय)-(विसय) 2/2] सव्वे (सव्व) 2/2 सवि 1. पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 132-133 कौन जानता है सुख और दु:खों को इन्द्रियों के विषयों को सभी 224 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy