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________________ अव्यय भी वल्लहो प्रिय (वल्लह) 1/1 वि (हो) व 3/1 अक होइ होता है 39. [(लवण)-(सम) 1/1 वि] लवण के समान लवणसमो नत्थि अव्यय नहीं रसो (रस) 1/1 [(विन्नाण)-(सम) 1/1 वि] अव्यय रस ज्ञान के समान विन्नाणसमो और य बंधवो (बंधव) 1/1 बन्धु नहीं नत्थि धम्मसमो धर्म के समान नत्थि नहीं अव्यय [(धम्म)-(सम) 1/1 वि] अव्यय (निहि) 1/1 [(कोह)-(सम) 1/1 वि] अव्यय निधि निही कोहसमो क्रोध के समान नत्थि नहीं 40. कुप्पुत्तेहि कुलाई गामणगराइ पिसुणसीलेहिं नासंति कुमंतीहिं नराहिवा (कुप्पुत्त) 3/2 कुपुत्रों के कारण (कुल) 1/2 कुल [(गाम)-(णगर) 1/2] ग्राम-नगर [(पिसुण)-(सील) 3/2] दुष्ट चरित्रों के कारण (नास) व 3/2 अक नष्ट हो जाते हैं (कुमंति) 3/2 कुमंत्रियों के कारण [(नर)+(अहिवा)][(नर)-(अहिव) 1/2] नराधिपति अव्यय श्रेष्ठ वि अव्यय समिद्धा (समिद्ध) 1/2 वि समृद्ध 41. मत मा होसु अव्यय (हो) विधि 2/1 सक प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ 191 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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