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________________ अउव्वो (अउव्व) 1/1 वि अनोखा 21. सरसा (सरस) 1/2 वि ताजे वि अव्यय दुमा दावाणलेण डझंति सुक्खसंवलिया दुज्जणसंगे पत्ते सुयणो (दुम) 1/2 (दावाणल) 3/1 (डझंति) व कर्म 3/2 सक अनि [(सुक्ख) वि-(संवलिय) 1/2 वि] [(दुज्जण)-(संग) 7/1] (पत्त) 7/1 वि (सुयण) 1/1 अव्यय (सुह) 2/1 वृक्ष दावानल के द्वारा जला दिये जाते हैं शुष्क (घास) से मिश्रित दुर्जन का साथ प्राप्त होने पर सज्जन भी सुख अव्यय नहीं पावेइ (पाव) व 3/1 सक पाता है 22. bilehell.bas.titlot.ible : धन्ना धन्य मिले हुए बहरे और अन्धे बहिरंधलिया हो च्चिय जीवंति माणुसे लोए (धन्न) 1/2 [(बहिर) + (अंधल)+ (इया)][(बहिर) वि-(अंधल) वि-(इय) 1/2 वि] (दो) 1/2 वि अव्यय (जीव) व 3/2 अक (माणुस) 7/1 (लोअ) 7/1 अव्यय (सुण) व 3/2 सक [(पिसुण)-(वयण) 2/1] (खल) 6/1 (रिद्धि) 2/2 जीते हैं मनुष्य (लोक) में लोक में नहीं सुनते हैं दुष्ट के वचन को सुणंति पिसुणवयणं दुष्ट के खलस्स रिद्धी वैभव को अव्यय नहीं 182 प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002691
Book TitlePrakrit Gadya Padya Saurabh Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2009
Total Pages384
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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