________________
एवं
मेरी
और
पविसेज्ज (पविस) व 3/1 सक
घुसाता है अरी (अरि) 1/1
दुश्मन कुद्धो (कुद्ध) 1/1 वि
क्रोधयुक्त अव्यय
उसी प्रकार (अम्ह) 6/1 स
मेरी अच्छिवेयणा [(अच्छि )-(वेयणा) 1/1]
आँखों में पीड़ा 20. तियं (तिय). 2/1
कमर में (अम्ह) 6/1 स अन्तरिच्छं (अंतरिच्छ) 2/1
हृदय (में) अव्यय उत्तमंगं (उत्तमंग) 2/1
मस्तिष्क (में) अव्यय
तथा पीडई (पीड) व 3/1 सक
परेशान करती है (किया है) इंदासणिसमा
[(इंद) + (असणि)+ (समा)] [(इंद)- इन्द्र के वज्र के द्वारा (पीड़ा)
(असणि)-(सम(स्त्री)समा) 1/1 वि] के समान घोरा (घोर-घोरा) 1/1 वि
भयंकर वेयणा (वेयणा) 1/1
पीड़ा परमदारुणा
[(परम) वि-(दारुण-दारुणा) 1/1 वि] अत्यन्त तीव्र 21. उवट्ठिया (उविठ्ठय) भूकृ 1/2 अनि
पहुँचे (अम्ह) 6/1 स
मेरा आयरिया (आयरिय) 1/2
आचार्य विज्जामंतचिगिच्छगा [(विज्जा)-(मंत)-(चिगिच्छग) 1/2] अलौकिक विद्याओं और
मंत्रों के द्वारा
इलाज करनेवाले यहाँ पाठ होना चाहिए पवेसेज्ज (पविस-पवेस प्रे व 3/1 सक) तिय (त्रिक) = कमर (Monier Williams : Sans. Eng. Dict.) आकाश और पृथ्वी के बीच का मध्यवर्ती प्रदेश (कटि और मस्तिष्क के बीच का हिस्सा) कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण, 3-137)
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
163
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org