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कौशाम्बी
17. कोसंबी नाम नयरी
नामक
(कोसंबी) 1/1
अव्यय (नयरी) 1/1 [(पुराण)-(पुर)(भेयण(स्त्री)भेयणी) 1/1]
नगरी
पुराणपुरभेयणी
प्राचीन नगरों से अन्तर करनेवाली
तत्थ
अव्यय
वहाँ
आसी
रहते थे पिता
पिया
(अस) भू 3/1 अक (पिउ) 1/1 (अम्ह) 6/1 स [(पभूय) वि-(धण)-(संचअ) 1/1]
मेरे
मज्झं पभूयधणसंचओ
प्रचुर धन का संग्रह
18.
पढमे वए महारायं अतुला
(पढम) 7/1 वि (वअ) 7/1 (महाराय) 8/1 [(अतुल(स्त्री)अतुला) 1/1 वि] (अम्ह) 6/1 स (अच्छि )-(वेयणा) 1/1 (अहोत्था) भू 3/1 अक (विउल) 1/1 वि (दाह) 1/1 [(सव्व) वि-(गत्त) 7/2] (पत्थिव) 8/1
प्रथम (उम्र) में उम्र में हे राजाधिराज! असीम मेरी आँखों में पीड़ा
अच्छिवेयणा अहोत्था विउलो दाहो सव्वगत्तेसु पत्थिवा
बहुत जलन शरीर के सभी अंगों में हे नरेश!
19.
सत्थं
जहा परमतिक्खं सरीरवियरंतरे
(सत्थ) 2/1
अव्यय [(परम) वि-(तिक्ख) 2/1 वि] [(सरीर)+(वियर)+ (अन्तरे)] [(सरीर)-(वियर)-(अन्तर) 7/1]
शस्त्र को जैसे अत्यधिक तीखे को शरीर के छिद्रों के अन्दर
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प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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