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तुम्हारे द्वारा ही लिया गया है, हे असत्यवादी! हे पापी! हे धीठ! उसको मुझे दो। अन्यथा मैं तुमको मारूँगा। इस प्रकार कहकर वह जूता लेकर मारने के लिए दौड़ा। पुत्र भी मुट्ठी को बाँधकर पिता के सम्मुख हो गया। वे दोनों लड़ते हुए (रहे) तब केशव उनको देखकर उनके मध्य में जाकर, मत लड़ो, मत लड़ो इस प्रकार कहकर खड़ा रहा। तब वह पुरोहित, हे दामाद! हटोहटो कहकर उसको जूते से पीटता है। पुत्र भी हे केशव! दूर हो, दूर हो इस प्रकार मुट्ठी से उस केशव को पीटता है। इस प्रकार पिता-पुत्र ने केशव को ताड़ा। तब वह उनके द्वारा धक्का मुक्के से ताड़ा जाते हुए शीघ्र भाग गया, इस प्रकार धक्का मुक्के से वह केशव बिना कहकर गया।
7. उस दिन पुरोहित राजसभा में देर से गया। राजा ने उसको पूछा- तुम देर से क्यों आए हो? उसने कहा- विवाह महोत्सव में चार दामाद आए थे। वे भोजनरस के लोभी चिरकाल तक ठहरे और जाने के लिए इच्छा नहीं करते हैं। तब युक्तिपूर्वक वे सभी निकाले गये, इस प्रकारकठोर की हुई रोटी से मणीराम, तिल के तेल से माधव, भूशय्या से विजयराम (और) धक्का-मुक्के से केशव निकाले गए। इस प्रकार सभी वृत्तान्त राजा के सामने कहा गया। राजा भी उसकी बुद्धि से अत्यन्त सन्तुष्ट हुआ। उपदेशचार दामाद के पराभव को सुनकर (तुम) ससुर के गृहवास में सम्मानपूर्वक ही बसो।
प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ
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