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________________ (1) अन्य सुन्दर आभूषणों के ( समान) शील भी युवती का आभूषण समझा गया ( है ) (और) कहा गया ( है ) | ( 2 ) जो सीता रावण के द्वारा हरण करके ले जाई गई (वह), जैसा कि बतलाया जाता है, शील के कारण अनि के द्वारा नहीं जलाई गई । ( 3 ) उसी प्रकार कठोर शीलधारण की हुई अनन्तमती विद्याधरों और किरात (जंगल में रहनेवाली एक जाति के मनुष्यों) के उपद्रव से रहित हुई । ( 4 ) ( नदी के ) तेज धारवाले जल में डुबाई गई रोहिणी, शील गुण के कारण नदी के द्वारा नहीं बहाई गई। (5) नारायण, बलदेव, चक्रवर्ती तथा तीर्थंकरों की माताएँ आज भी (शील के कारण ) तीनलोक में प्रसिद्ध (हैं)। (6) ये शीलरूपी कमल-सरोवर की हंसिनी (थीं) (अत:) (वे) नागों, मनुष्यों, आकाश में चलनेवाले ( विद्याधरों) और देवों द्वारा प्रशंसित ( थीं ) । (7) हे माता ! (यदि ) (कोई) (जलकर) राख का ढ़ेर हो जाए (तो) (यह) अधिक अच्छा ( है ), ( किन्तु ) काम-वासना के कारण पागलपन पैदा करनेवाला कुशील ( अच्छा ) नहीं ( है ) | ( 8 ) विद्वान व्यक्ति के द्वारा शीलवान (मनुष्य) प्रशंसा किया जाता है । (कोई बताए) शीलरहित होने से क्या (प्रयोजन) सिद्ध किया जाता है ? घत्ता इसको समझकर हे माता! हे महासती ! (यदि ) शील पालन किया जाता है तो लाभ है। (वरना) हे सखी! ( उदाहरणों को) देखते हुए ( मेरे द्वारा ) (यह ) ( समझा गया है ) ( कि) आपके आधार का ( ही ) नाश हो जायेगा । - 8.7 अपभ्रंश काव्य सौरभ 1) इस लोक में श्मशान से गिद्ध दूर नहीं होता है । कमल में घुसा हुआ भौंरा (उससे) दूर नहीं होता है। (2) नारद के तम्बूरे का गीत नहीं छूटता है। ज्ञानी समुदाय (मनुष्यों) का विवेक नष्ट नहीं होता है । ( 3 ) दुष्ट स्वभाव दुर्जन से ओझल नहीं होता है। निर्धन के चित्त से चिन्ता समाप्त नहीं होती है । (4) महाधनवान से लोभ नहीं जाता है । यमराज से मारने का भाव दूर नहीं होता है । (5) यौवनवान् से अहंकार नहीं हटता है। प्रेमी में लगा हुआ मन विचलित नहीं होता है । ( 6 ) महान् हाथियों का समूह Jain Education International 8.9 For Private & Personal Use Only 75 www.jainelibrary.org
SR No.002690
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages428
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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