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आप
कहे गये - ( 3 ) आप दोनों ही मनुष्य अन्तिम देहवाले ( हैं ), आप दोनों ही विजयरूपी लक्ष्मी के घर ( हैं ) । (4) आप दोनों ही अबाधित प्रतापवाले ( हैं ), दोनों ही गम्भीर वाणीवाले ( हैं ) । ( 5 ) आप दोनों ही जगत् को धारण करने की शक्तिवाले हो, आप दोनों ही स्त्रियों के लिए आकर्षक हो । ( 6 ) आप दोनों ही देवताओं के लिए भी प्रचण्ड (भयंकर) (हो), (तथा) पृथ्वीरूपी महिला की लम्बी भुजाएँ (हो) । ( 7 ) आप दोनों ही राजनीति में कुशल (हो) । आप दोनों ही निज पिता के चरणरूपी कमलों के भौरे ( हैं ) । (8) आप दोनों ही जन-जन के चक्षु ( हैं ), (आप) हमारे धर्म - पक्ष को चाहें। ( 9 ) प्रखर आयुधों की धार से विदारित (और) मारे गए अनुचर - समूह से क्या (लाभ) ( है ) ? ( 10 ) सजा दिए हुए ( उन ) बेचारों से (आपका ) क्या (लाभ) ? विधवा किए हुए नारी - समूह से (आपको ) ( क्या ) ( लाभ ) ? ( 11 ) (आप) दोनों (सेनाओं) के ही मध्य-स्थित होकर आयुध छोड़कर क्षमा-भाव को धारण करके ( रहें ) ।
घत्ता
उपयुक्त और भली प्रकार कहे हुए को समझते हुए हे राजन् ! इतना किया जाए- तुम दोनों में ही धर्म और न्याय से निर्धारित तीन प्रकार का युद्ध हो ।
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(1) पहले (आप) एक-दूसरे पर दृष्टि डालो ( और उसमें ) पलकों के बालरूपी बाणों के अग्रभाग का हलन चलन मत करो । ( 2 ) दूसरा, हंस की कतारों से सम्मानित पानी द्वारा एक-दूसरे के विरुद्ध छिड़काव करो । ( 4 ) ( उसी प्रकार ) (आप) दोनों ही राजारूपी पहलवान तब तक युद्ध करें जब तक एक के द्वारा एक उठा (नहीं) लिया जाता है। (5) (अपनी ) शूरवीरता से एक-दूसरे को जीतकर (अपने सामर्थ्य से पितृ-गृह के वैभव को ग्रहण करें। (6) (जिनके द्वारा) शरीर की शोभा के कारण इन्द्र का उपहास किया गया ( है ), ( उन ) दोनों सुन्दर ( राजाओं ) द्वारा भी उस समय विचारा गया । ( 7 ) दुःखी करनेवाले नव-यौवन से क्या (लाभ) ? फले हुए कड़वे वन से भी क्या (लाभ) ?
17.10
घत्ता
जो मंत्रियों द्वारा कहे हुए सुन्दर वचनों को (तथा) नीति - वचनों को व्यवहार में नहीं करते हैं, उन राजाओं की रिद्धि कहाँ से ( रहेगी) (तथा) ( उनके लिए) सिंहासन, छत्र और रत्न कहाँ ( होंगे ) ?
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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