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________________ 16.8 (1) फिर उनके द्वारा महत्त्वपूर्ण (और) सुनने में मधुर (शब्द) इस प्रकार कहे गये- आज्ञा-प्रसार (प्रसारित आज्ञा) के पालन करने के प्रयोजन से (और) पृथ्वी के निमित्त से प्रणाम करना (करने के लिए) उपयुक्त नहीं है। (2) (इस) शरीर को (और) भू-खण्ड/पृथ्वी को महत्त्व देकर (किन्तु) आत्म-सम्मान को छोड़कर (किसी को) क्यों प्रणाम किया जाए? (3) वृक्ष की छाल का वस्त्र, गुफा में घर, जंगल के फलों का भोजन श्रेष्ठ (तथा) अच्छा है। (4) निर्धनता (और) शरीर के लिए दण्ड देना श्रेष्ठ (है) (किन्तु) व्यक्ति के स्वाभिमान का खण्डन (श्रेष्ठ) नहीं (है)। (5) सेवकरूपी नदी दूसरों के पैरों की धूल से पीले रंगवाली (हो जाती है) (इसलिये) असुन्दर (होती है) मानो (आत्म-सम्मानरूपी) वर्षा ऋतु की शोभा को हरनेवाली (हो)। (6) राजा के द्वारपालों के डण्डों का संघर्षण (और) हाथ से छाती पर प्रहार कौन सहेगा? (7) (उस) (मुख को) कौन देखे (जो) बार-बार भौंहों की सिकुड़न का स्थान (है) क्या (वह) प्रसन्न हुआ (है) या क्या क्रोध से काला (हुआ) (है)? (8) (जो) राजा के समीप (स्थित) (रहता है), (वह) ढीठता/निर्लज्जता को पाता है, (जो) (राजा का) बहुत थोड़ा दर्शन करनेवाला (होता है) (वह) स्नेहरहितता को (प्राप्त होता है/पाता है)। (9) मौन के कारण वीर आलसी (कहा जाता है), क्षमा के कारण (वीर) कायर (कहा जाता है), सरलता पशु का (चिह्न मानी जाती है), बकवास करनेवाला पण्डित (कहा जाता है)। (10) सुन्दर व महान् (किन्तु) हृदय में न समझे हुए (नासमझ) के द्वारा योद्धापन के कारण (व्यक्ति) कलहकारी कहा जाता है। (11) (राजा से) मधुर बोलनेवाला खुशामदी (कहा जाता है)। सेवा (चाकरी) में लीन (व्यक्ति) किसी प्रकार भी गुणी नहीं होता है। 16.9 (1) अथवा (जिसके द्वारा) प्राप्त दुर्लभ मनुष्यत्व नष्ट किया गया (है), उससे क्या (लाभ है)? तो जो विषयरूपी विष के रस में (अपने को) डालता है, (वह) दूसरे के वश में (होता है), उसकी क्या विद्वता (है)? (2) (वह ऐसा व्यक्ति है) अपभ्रंश काव्य सौरभ 47 Jain Education International . For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002690
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages428
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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