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________________ परिमाणपवित्ति बलियई बहुयई [(परिमाण)-(पवित्ति) 2/1] (बलिय) 1/2 वि (बहुय) 1/2 वि (दुक्कर) 1/1 वि (तोड) 4/1 (जा) व 3/2 अक परिमाण से प्रवृत्ति गाढ़े (सबल) बहुत कठिन तोड़ने के लिए होते हैं दुक्कर तोडहुँ' जंति भोगह करहि पमाणु जिय इंदिय करि सदप्प (भोग) 6/2 भोगों का (कर) विधि 2/1 सक कर (पमाण) 2/1 परिमाण (जिय) 8/1 हे मनुष्य (इंदिय) 2/2 इन्द्रियों को अव्यय मत (कर) विधि 2/1 सक बना (सदप्प) 2/2 वि दम्भी (हु) व 3/2 अक होते हैं अव्यय (भल्ल- (स्त्री) भल्ला) 1/2 वि अच्छे (पोस-पोसिय-- (स्त्री) पोसिया) भूकृ 1/2 पाले गये (दुद्ध) 3/1 दूध से (काला) 1/2 वि काले (सप्प) 1/2 नहीं भल्ला पोसिया दुद्धे काला सप्प सर्प दाणु दान कुपात्रों के लिए कुपत्तहं दोसड (दाण) 1/1 (कुपत्त) 4/2 (दोस+अड) 1/1 'अड' स्वार्थिक अव्यय (बोल्ल) व कर्म 3/1 सक दूषण बोल्लिजइ कहा जाता है 1. श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 151 अपभ्रंश काव्य सौरभ 370 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002690
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages428
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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