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मुणेहि
मानता है कर्मों से रचित
कम्मविणिम्मिय
भावडा
(मुण) व 2/1 सक [(कम्म)-(विणिम्म-विणिम्मिअ) भूक 2/2] (भाव+अड) 2/2 ‘अड' स्वार्थिक (त) 2/2 सवि (अप्पाण) 6/1 (भण) व 2/1 सक
चित्तवृत्तियों को
उन
अप्पाण
स्वयं की समझता है
भणेहि
17.
अव्यय
.
iii ..........
अव्यय
पंडिउ
(तुम्ह) 1/1 स (पंडिअ) 1/1 वि (मुक्ख ) 1/1 वि
मुक्खु
अव्यय
.
अव्यय
अव्यय
.
अव्यय
ईसरु
(ईसर) 1/1 वि
अव्यय
.
अव्यय
णीसु
न, धनी-निर्धन
[(ण)+(ईसु)] ण= अव्यय, ईसु (ईस) 1/1 वि अव्यय अव्यय (गुरु) 1/1 (क) 1/1 सवि
E
पछ
सभी
अव्यय सव्वई
(सव्व) 1/2 सवि कम्मविसेसु
[(कम्म)-(विसेस) 1/1] 1. अनिश्चितता के लिए 'इ' जोड़ दिया जाता है।
कर्मों की विशेषता
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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