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क्या
किं अण्णें
(किं) 1/1 सवि (अण्ण) 3/1 सवि (बहुअ) 3/1 वि
दूसरी
बहुएण
बहुत से
17. जीवाजीव
जीव और अजीव को
मत
एक्कु
एक
करि
कर
लक्खण
लक्षण के भेद से
भेएँ
व
[(जीव)+(अजीव)] [(जीव)-(अजीव) 2/1] अव्यय (एक्क) 2/1 वि (कर) विधि 2/1 सक (लक्खण) 6/1 (भेअ) 3/1 (भेअ) 1/1 (ज) 1/1 सवि (पर) 1/1 वि (त) 1/1 सवि (पर) 1/1 वि (भण) व 1/1 सक (मुण) वि 2/1 सक (अप्प) 2/1 (अप्प) 8/1 (अभेअ) 2/1 वि
जो
अन्य
वह
परु
भणमि
मुणि
अन्य कहता हूँ जान, समझ आत्मा को हे मनुष्य अभेदरूप
अप्पा
अप्पु अभेउ
18.
अमणु अणिदिउ
मनरहित इन्द्रियरहित
णाणमउ मुत्ति-विरहिउ
(अमण) 1/1 वि (अण+इंदिय) 1/1 वि (णाणमअ) 1/1 वि [(मुत्ति)-(विरहिअ) 1/1 वि] [(चित्त+मित्त-चिमित्त) 1/1] (अप्प) 1/1 [(इंदिय)-(विसअ) 1/1] अव्यय
चिमितु
ज्ञानमय मूर्तिरहित (अमूर्त) चैतन्यस्वरूप आत्मा इन्द्रियों का विषय नहीं
अप्पा इंदिय-विसउ णवि
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अपभ्रंश काव्य सौरभ
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