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(दोस) 1/1 (ज) 6/1 स
दोष जिसमें
FREE
(त) 1/1 सवि
वह
णिरंजणु
अव्यय (णिरंजण) 1/1 वि (भाअ) 1/1
निष्कलंक
भाउ
अवस्था
11.
जासु
(ज) 4/1 स
जिसके लिए
ण
अव्यय
नहीं
धारणु
अवलम्बन
(धारण) 1/1 (धेअ) 1/1
घेउ
उद्देश्य
अव्यय
नहीं
वि
अव्यय
भी
जासु
(ज) 4/1
स
जिसके लिए
अव्यय
(जंत) 1/1
अव्यय (मंत) 1/1 (ज) 4/1 स
जिसके लिए
ण
अव्यय
नहीं
मंडलु
आसन
(मंडल) 1/1 (मुद्दा) 1/1 अव्यय
अव्यय
म
(त) 1/1 सवि (मुण) विधि 2/1 सक
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम प्राकृत व्याकरण 3-134)
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अपभ्रंश काव्य सौरभ
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