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निवसन्तेहिं सु-अणेहिं
(निवस-निवसन्त) वकृ 3/2 (सु-अण) 3/2
बसे हुए होने के कारण सज्जनों से (द्वारा)
16.
एक्क
एक
कुडुल्ली
पञ्चहिं रुद्धि
(एक्क) 1/1 वि (कुडि+उल्ल=कुडुल्ल-(स्त्री) कुडुल्ली) 1/1 ‘उल्ल' स्वार्थिक (पञ्च) 3/2 वि (रुद्धि) भूकृ 1/1 अनि (त) 6/2 सवि (पञ्च) 6/2 वि अव्यय
पञ्चह
कुटिया पाँच के द्वारा रोकी हुई उन (की) पाँचों की भी अलग-अलग बुद्धि हे बहिन सम्बोधनार्थक
अव्यय
जुअं-जुअ बुद्धि बहिणु
वह
(बुद्धि) 1/1 (बहिणु) 8/1
अव्यय (त) 1/1 सवि (घर) 1/1 (कह) विधि 2/1 सक अव्यय (नन्दअ) 1/1 वि
घर कहो
किवँ
कैसे
नन्दउ
हर्ष मनानेवाला
जेत्थु
अव्यय
जहाँ
कुडुम्बउं
(कुडुम्ब-कुडुम्बअ) 1/1 (अप्पणछंदअ) न 1/1 वि
कुटुम्ब स्वछन्दी
अप्पणछंदउ
17.
जिब्भिन्दिउ
रसना इन्द्रिय को
नायगु
[(जिन्भ)+(इन्दिअ)] [(जिब्भ)-(इन्दिअ) 2/1] (नायग) 2/1 वि (वस) 7/1 वि (कर) विधि 2/2 सक (ज) 6/1 स
प्रमुख वश में
वसि
कर
करो
जिसके
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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