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वह
तेवडु
उतना (इतना) विस्तार
वित्थारु
(त) 1/1 वि (तेवड) 1/1 सवि (वित्थार) 1/1 सवि (तिसा) 6/1 (निवारण) 1/1 (पल) 1/1
तिसहे
प्यास का निवारण
निवारण
पल
जरा सा
अव्यय
अव्यय
नहीं
किन्तु
धुहुअइ
अव्यय (धुटुअ) व 3/1 अक (असार) 1/1 वि
आवाज करता रहता है निरर्थक
असारु
13.
किर
खाइ
पिअइ
विद्दवइ धम्मि
धर्म में
अव्यय
निश्चय ही (खा) व 3/1 सक
खाता है अव्यय
नहीं (पिअ) व 3/1 सक
पीता हैं अव्यय
नहीं (विद्दव) व 3/1 सक
भागता है (घूमता है) (धम्म) 7/1 अव्यय (वेच्च) व 3/1 सक
व्यय करता है (रुअ+अडअ)' 2/1 'अडअ' स्वार्थिक रुपये को अव्यय
यहाँ (किवण) 1/1 वि
कंजूस, कृपण अव्यय
नहीं (जाण) व 3/1 सक
समझता है
नहीं
वेच्वइ
रुअडउ
किवणु
जाणइ
जबकि
अव्यय (जम) 6/1 (खण) 3/1 क्रिविअ
जमहो खणेण
यम का
क्षणभर में
रुअअ+अडअ= रूअअडअ = रूअडअ-रुपया
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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