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(और) मानो (वर्षा से प्राप्त) आनन्द से कवि प्रसन्न हुए हों। (4) मानो कोयलें ऊँची आवाज में (बोलने के लिए) स्वतन्त्र की गई (हों) और मानो मोर सन्तोष से बोले हों। (5) मानो बड़े तालाब विपुल आँसूरूपी जल से भरे हए (हों और) मानो बड़े पर्वत हर्ष से पुलकित हो। (6) मानो तप्त दावाग्नि के वियोग से धरती विविध विनोद के कारण नाची (हो)। (7) मानो दु:ख के कारण सूर्य अस्त हुआ हो (और) मानो सुख के कारण रात स्वयं व्याप्त हो गई हो। (8) वृक्ष के पत्ते सुहावने हुए (और) पवन से हिले-डुले, मानो (उनके द्वारा) (यह) बोला गया (है) (कि) ग्रीष्म किसके द्वारा मारा गया।
घत्ता - उस जैसे भयातुर समय में दोनों ही राम और लक्ष्मण सीतासहित (उस) (बड़े) वृक्ष के नीचे के भाग में योग-ग्रहण करके महामुनि की भाँति बैठ .. गये।
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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