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1.
Startet
मुच्छाविय
णिएवि
ताइ सयल
दुख
तेत्थु
ठाइ
2.
उम्मुच्छिवि
मायरि
मुइवि
धाह
रोवणह '
लग्ग
हा
हुय
अणह
3.
हा हा
महु
1.
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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3.20
(मुच्छ+आवि= मुच्छावि - (भूक) मुच्छाविय कर दी गई मूच्छित (स्त्री) मुच्छाविया) प्रे. भूक 1 / 1
( जणणी) 1 / 1 (णिअ + एवि) संकृ
(त) 2 / 2 सवि
(सयल) 1/2 वि
सब
अव्यय
भी
(दुक्ख + आवि= दुक्खावि) प्रे. भूक 1/2 दुःखी
अव्यय
(3137) 7/1
(उम्मुच्छ+ इवि) संकृ
( मायरि) 1 / 1
(मुअ + इवि) संकृ
अव्यय
( रोवण ) 6 / 1
(लग्ग) 1 / 1
अव्यय
( हु - हुय - हुया ) भूकृ 1/1
(अणाह - (स्त्री) अणाहा ) 1 / 1 वि
अव्यय
( अम्ह ) 6 / 1
(णंदण) 1 / 1
माता
देखकर
उनको
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वहाँ (उस)
स्थान पर
मूर्च्छित
माँ ने
छोड़कर
चिल्लाहट
रोने का
चिह्न
हाय
हो गई
अनाथ
ž
अकारान्त पुल्लिंग षष्ठी एकवचन में 'ह' प्रत्यय का प्रयोग भी होता है। ( श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 150 )
हाय-हाय
मेरे
पुत्र
320
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