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थिररईहि।
[[(थिर) वि-(रइ) 4/1] वि]
स्थिर स्नेहवाली के लिए (को)
उसको सुनकर उसके द्वारा
सुणिवि ताइँ-ताएँ पभणिउ सणेहु'
कहा गया सस्नेह
मा
(त) 2/1 स (सुण+इवि) संकृ (ता) 3/1 स (पभण-पभणिअ) भूकृ 1/1 (स-णहे) 1/1 न. अव्यय (क) 4/1 स अव्यय (पयड) 2/1 (कर) विधि 2/1 सक (एत) 2/1 सवि
मत
कासु
किसी के लिए
भी
पयडु
प्रकट
करेहि
करना
यह
एत्तहिँ
यहाँ पर न पाते हुए होने के कारण
अलहते
सुउ
पुत्र को
णिवेण
अव्यय (अलह-अलहंत) व 3/1 (सुअ) 2/1 (णिव) 3/1 (देव+आवि-देवावि-देवाविअ) प्रे. भूकृ 1/1 (डिंडिम) 1/1 (णयर) 7/1 (त) 3/1 स
राजा के द्वारा आज्ञा करवायी गई
देवाविउ
डिडिमु
ढोल
णयरे
नगर में
उसके द्वारा
तेण 8.
(ज) 1/1 सवि (राय) 6/1
रायहो
राजा के
1. 2.
श्रीवास्तव, अपभ्रंश भाषा का अध्ययन, पृष्ठ 144 नपु. 1/1 के शब्द कभी-कभी क्रिविअ की तरह प्रयुक्त होते हैं।
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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