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करिसूयररहवरडिभयरहं
णर णिहणमि
[(करि)-(सूयर)-(रहवर)-(डिंभय)-(रह) हाथीरूपी सूअरों पर, श्रेष्ठ 6/1]
रथों पर, छोटे रथ (समह) पर (णर) 2/2
मनुष्य (णिहण) व 1/1 सक
मारता हूँ (मारूँगा) (रण) 7/1
रण में (ज) 2/2 सवि अव्यय (महारह) 2/2 वि
रणि
जे
महारह
9.
भरह
भरत हरता है (हरेगा) क्या
कि
मेरे
मज्झु भुयाभरु
(भरह) 1/1 (हर) व 3/1 सक अव्यय . (अम्ह) 6/1 स [(भुया)-(भर) 2/1] अव्यय (चुक्क) व 3/1 अक
अव्यय (सुमर) व 3/1 सक (जिणवर) 2/1
तइ
चुक्कइ
भुजाबल को तभी (उसी समय) चूकता है (बच निकलेगा) यदि स्मरण करता है जिनवर को (का)
जइ
सुमरइ जिणवरु 10.
तह
तुम्हारी
मेइणि
पृथ्वी
महु
मेरा
पोयणणयरु
आइजिणिंदें दिण्णउं
(त) 6/1 स (मेइणी) 1/1 (अम्ह) 6/1 स (पोयण)-(णयर) 1/1 (आइ)-(जिर्णिद) 3/1 (दिण्ण) भूकृ 1/1 अनि (अभिड) विधि 3/1 सक (पड) विधि 3/1 सक (असि) 2/1 [(सिहि)-(सिहा) 7/1]
अभिडउ
पोदनपुर नगर आदि जिनेन्द्र के द्वारा दिये हुये मिले पड़े तलवार को अग्नि की ज्वाला में
पडउ
असि सिहिसिहहि
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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