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________________ पणवहुं (पणव) व 1/2 सक प्रणाम करते हैं जह अव्यय (जर) व 3/1 अक जरइ जीर्ण होता है अव्यय झिज्जइ (झिज्ज) व 3/1 अक क्षीण होता है अव्यय पणवहुं (पणव) व 1/2 सक प्रणाम करते हैं यदि जइ पीठ पुट्टि अव्यय (पुट्ठि) 2/1 अव्यय (भज्ज ) व 3/1 सक नहीं भज्ज भंग करता है तो पणवहुं प्रणाम करते हैं यदि बल बलु अव्यय (पणव) व 1/2 सक अव्यय (बल) 1/1 [(ण)+(ओहट्टइ)] ण-अव्यय (ओहट्ट) व 3/1 अक अव्यय (पणव) व 1/2 सक णोहट्टइ नहीं, कम होता है तो पणवहुं जइ प्रणाम करते हैं यदि अव्यय पवित्रता (सुइ) 1/1 अव्यय (विहट्ट) व 3/1 अक नहीं नष्ट होती है विहट्टइ अव्यय पणवहुं (पणव) व 1/2 सक अव्यय प्रणाम करते हैं यदि प्रेम मयणु (मयण) 1/1 अव्यय नहीं अपभ्रंश काव्य सौरभ 208 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002690
Book TitleApbhramsa Kavya Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2007
Total Pages428
LanguageApbhramsa, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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