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तरुवरु
(तरुवर) 2/1
वृक्ष को
कवण
तुम्हारे द्वारा किसलिए बोल
वोल्ल
पारंभिय सइ-वडाय मई
(एता) 1/1 सवि (तुम्ह) 3/1 स (कवण) 4/1 स (वोल्ला ) 1/1 (पारम्भ-पारम्भिया) भूक 1/1 [(सइ)-(वडाया) 1/1] (अम्ह) 3/1 स अव्यय (समुन्भ-समुब्भिया) भूकृ 1/1
प्रारम्भ किया गया सतीत्व की पताका मेरे द्वारा
आज
अज्जु समुब्भिय
भली प्रकार से ऊँची की
गई
तुम
देखते हुए
पेक्खन्तु अच्छु वीसत्थउ
बैठो
(तुम्ह) 1/1 स (पेक्ख-पेक्खन्त) वकृ 1/1 (अच्छ) विधि 2/1 अक (वीसत्थ-) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक (डह) विधि 3/1 अक (जलण) 1/1
डहउ
विश्वासयुक्त जलावे अग्नि यदि
जलणु
जइ
अव्यय
डहेवि
जलाने के लिए
(डह+एवि) हेक (समत्थअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक
समत्थउ
समर्थ
201
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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