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स-तेय
(स-तेय) 1/2 वि
कान्ति-युक्त अव्यय
मानो [(खय) भूकृ - (रवि)-(मण्डल) 1/2] गिरे हुए, रवि-चक्र (अणेय) 1/2 वि
अनेक
खय-रवि-मण्डलई
अणेय.
6.
दिट्ठ
देखी गई
भौंहें
भउहउ भिउडि-करालउ
(दिट्ठ- (स्त्री) दिट्ठा) भूकृ 1/2 अनि (भउहा) 1/2 [(भिउडि)-(करालअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक अव्यय [(पलय)+(अग्गि)+(सिहउ)] [(पलय)-(अग्गि)-(सिहा) 1/2] [(धूम) + (आलउ)] [[(धूम)-(आलअ) 1/1] वि]
पलयरिंग-सिहउ
भौंह के विकार से भयंकर मानो प्रलय की आग की ज्वालाएँ धुएँ के आश्रयवाली
धूमालउ
7.
दिट्ठ'
देखे गए लम्बे और चौड़े
दीह-विसालइँ
णेत्त
नेत्र
मिहुणा
(दि8) भूकृ 1/2 अनि [(दीह) वि-(विसाल) 1/2 वि] (णेत्त) 1/2 (मिहुण) 1/2 अव्यय [(आमरण)+(आसत्तइँ)] [(आमरण)-(आसत्त) भूकृ 1/2 अनि]
स्त्री-पुरुष के जोड़े मानो
इव आमरणासत्तइँ
मृत्यु तक आसक्त
मुख-विवर
मुह-कुहरइँ दट्ठोट्ठ
दिट्ठइँ . जमकरणाइँ
[(मुह)-(कुहर) 1/2] [(दह)+(ओट्ठइँ)] [(दठ्ठ) भूकृ अनि-(ओट्ठ) 1/2] (दि8) भूकृ 1/2 अनि [(जम)-(करण) 1/2] अव्यय (जम) 6/1 (अणि8) भूक 1/2 अनि
दाँतों से काटे गए होठ देखे गये मृत्यु के साधन
व
मानो
जमहो
यम के
अणि?'
अप्रीतिकर
179
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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