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कहा जाता है
वुच्चइ लक्खणु
(वुच्चइ) व कर्म 3/1 सक अनि (लक्खण) 1/1
लक्षण
5.
कावि
णारि सारङ्गि
कोई नारी हरिणी के
वुण्णी
(का) 1/1 सवि (णारी) 1/1 (सारङ्गी) 6/1 अव्यय (वुण्ण-वुण्णी) भूकृ 1/1 अनि (वड्ड-वड्डी) 2/1 वि (धाह-धाहा) 2/1 (मुअ+एवि) संकृ (परुण्ण-परुण्णी) भूकृ 1/1 अनि ।
वड्डी
समान दुःखी हुई बड़ी चिल्लाहट छोड़कर (निकालकर) रोई
धाह
मुएवि परुण्णी
6.
का वि
कोई
णारि
नारी
लेड
पसाहणु
(का) 1/1 सवि (णारी) 1/1 (ज) 2/1 स (ले) व 3/1 सक (पसाहण) 2/1 (त) 2/1 स (उल्हा+आव) व प्रे. 3/1 सक (जाण) व 3/1 सक (लक्खण) 2/1
जिस(को) लेती है (पहनती है) आभूषण को उसको शान्ति देता है समझती है
उल्हावइ
जाणइ
लक्खणु
लक्ष्मण
7.
कावि
णारि
(का) 1/1 सवि (णारी) 1/1 (ज) 2/1 सवि (परिह) व 3/1 सक (कङ्कण) 2/1 (धर) व 3/1 सक
कोई नारी जिस(को) पहनती है कंगन को धारण करती है
परिहइ
कङ्कणु धरइ
अपभ्रंश काव्य सौरभ
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